हिजामा क्या है ? 'हिजामा' एक अरबी शब्द है जिसका अर्थ है - 'खींचकर बाहर निकालना' यानी शरीर से गंदा खून को बाहर निकालना। कपिंग (हिजामा) ड्राई और वेट दो तरह की होती है।
खून निकालकर ठीक करते हैं बीमारी
आमतौर पर खून चढ़ाया जाता है, लेकिन हिजामा थेरेपी में शरीर से खून निकालकर बीमारी दूर की जाती है। सालों पुरानी इस पद्धति को कपिंग थेरेपी भी कहते हैं। माइग्रेन, जॉइंट पेन, कमर दर्द, स्लिप डिस्क, सर्वाइकल डिस्क, पैरों में सूजन, सुन्न होना और झनझनाहट जैसी बीमारी का इलाज मिनटों में संभव है। इस इलाज में दवा की जरुरत नहीं होती है। सालों पुरानी इस पद्धति से लोग अनजान हैं, यहां तक कि डॉक्टर भी इसके बारे में कम जानते हैं। लेकिन दिल्ली में इस पद्धति के जरिए इलाज किया जाता है और देश भर के यूनानी डॉक्टरों को इसकी ट्रेनिंग भी दी जाती है। यूनानी डॉक्टरों का कहना है कि कई बीमारियों में यह रामबाण है।
कई तरह से की जाती है कपिंग
फायर कपिंग: इस तरह की थेरेपी के लिए एक रुई के गोले में शराब डालकर उसमें आग लगाई जाती है। इसके बाद कप के अंदर इस आग का धुंआ डालकर कप को पीठ और कंधे में लगाया जाता है। धुंए के दवाब के कारण कप के अंदर शरीर की स्किन कप के अंदर खिंच जाती है। इस थेरेपी को अधिकतर स्किन से जुड़ी समस्याओं के हल के लिए लिया जाता है।
ड्राय कपिंग: इस कपिंग में खाली कप को स्किन पर ऐसी तकनीक से रखा जाता है कि कप के अंदर वेक्यूम पैदा हो जाता है। इस प्रक्रिया से शरीर का गंदा खून कप के स्थान पर इकट्ठा हो जाता है जिसे एक चीरा लगाकर निकाल दिया जाता है। इससे शरीर का अशुद्ध खून निकल जाता है।
वेट कपिंग: कुछ खास तेलों में कप को डुबाकर स्किन के कुछ एक्यूप्रेशर बिंदुओं पर रखा जाता है। स्किन में खिचांव आने के कारण मसल्स का दर्द भी धीरे-धीरे कम हो जाता है। इसके अलावा ये थेरेपी शरीर को सुकून भी देती है।
कई तरह से है फायदेमंद
ब्लड सर्कुलेशन
स्किन को खूबसूरत बनाती है
एंटी एजिंग के लिए कारगर
तनाव दूर करती है थेरेपी
हिजमा के साइड इफेक्ट hijama ke side effect
वैसे तो हिजामा का कोई भी साइड इफेक्ट नहीं है पर अगर ठीक तरीके से अगर ना किया जाए तो इंफेक्शन होने का खतरा होता है इसीलिए इसे करते समय सेफ्टी का ध्यान रखना चाहिए अगर हिजामा करते समय कोई वायरस अटैक करता है तो आपको इंफेक्शन होने का खतरा होता है तो वैसे तो कोई भी बरा साइड इफेक्ट नहीं देखा गया है पर बुखार हो सकता है
हिजामा करने का तरीका
बीमारी के अनुसार गर्दन के नीचे या पीठ में कपिंग की जाती है , पहले यह थेरेपी कुल्हड़ से की जाती थी लेकिन अब कप से की जाती है। हवा का कम दबाव बनाने के लिए कप को गर्म करके कप के अंदर मौजूद हवा और लौ की मदद लेकर या फिर कपों को गर्म सुगंधित तेलों में डुबोकर त्वचा पर लगाया जाता है।
वजन बढ़ना, तनाव, कब्ज और बाल झड़ने जैसी समस्याओं के लिए कारगर है ये उपाय
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
Please dont any scam link in the comment box